पाक़ मुहब्बत खुदा की नेमत !!

पाक़ मुहब्बत खुदा की नेमत
जबरन इश्क पाई नहीं जाती  !!
कोई  तड़पता ऐसे ही नहीं है 
भला धुंआ कब निकलता है बेमतलब
जब तक आग लगाई नहीं जाती  !! 
इश्क में हैरान हजारों  हैं मेरी तरह 
मगर हैरान होकर भी क्या करे दिल
ये बेचैनी सभी की दिखाई नहीं जाती  !!
सुनाये किसे और क्यूँ भला?
जो महबूब सुनना न चाहे
तड़प-ऐ-दिल औरों को  सुनाई नहीं जाती  !!.. . 

  

2 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

मगर हैरान होकर भी क्या करे दिल
ये बेचैनी सभी की दिखाई नहीं जाती !!bahut khoob

Unknown ने कहा…

Rashmi ji..
Bahut-bahut dhanyawaad.. aapne nirantar mujhe protsahit karne ka kaam kiya hai.. dhanyawaad..