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आज की पोस्ट पढाने से पहले मैं सभी ब्लॉगर साथियों को रक्षा-बंधन और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ... बधाई हो..
लिखा करते थे कभी
उनको देखकर ही...
मुस्कान लिखे सभी
उनके आंसू लिखे कभी
कभी खुद की मुहब्बत लिखी
कभी नाराजगी भी..
लिखा करते थे कभी
उनको देखकर ही...
अब वो न मेरे पास हैं सितमगर
न उनकी हंसी
न फरेब...
अब तो सच का रोना भी
नहीं होता मुझसे
क्यूंकि लोग रोते भी इसी आस में अक्सर
क़ि कोई उन्हें मना लेगा
उनके सारे नाज उठा लेगा
वो मेरा हँसना, न गुस्सा ही, न
रोना देख पाते हैं
तो व्यर्थ सारे भाव, व्यर्थ जिंदगी ही...
लिखा करते थे कभी
उनको देखकर ही...
7 टिप्पणियां:
बहुत ही प्रभावशाली कृति ...सच्चाई को वयां करती हुई अत्यंत सुन्दर रचना
रक्षा-बंधन और स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई.....!
Vyrthata ko sundar arth deti rachana . shubhkamana
सुन्दर रचना , सार्थक प्रस्तुति , आभार
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं .
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
मुस्कान लिखे सभी
उनके आंसू लिखे कभी
कभी खुद की मुहब्बत लिखी
आप लिखते रहिये हम आते रहेंगे .....
@ Sanjay Bhaskar Ji..
Amrita Tanmay Ji..
S.N.Shukla Saahab..
Dr. Varsha Singh Ji..
Dinesh Pareek Ji..
Harkeerat Heer..
Aap sabon ka bahut-bahut dhanyawaad.. aap humare blog par aaye hamara haunsala badhaya.. bahut-bahut dhanyawaad..
bahut khoob:-)
meri kavitayein apko pasand aayi padh achcha laga...dhanyavad
www.poeticprakash.com
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