ANIL AVTAAR ViSiONS

न कहा उसने.... न कुछ कहने दिया... अब खुद को कहना है..सुनना भी.. लिखना खुद ही.. पढना भी....!

My Baby

Posted by Unknown at सोमवार, मार्च 10, 2014
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एक नजर...

  • इश्क का असर
    google image मौसम-ए-इश्क का असर कुछ तो हुआ हमपर जो बर्बाद होकर भी रास्तों में किसी को हम ढूंढा किये अक्सर खुद को बुलंद कर ...
  • मैं ही मैं हूँ...
    Google Image मनमौजी हूँ मैं,  लकीरें खींचने की कोशिश  रही है पानी में भी  कभी दीखता हूँ मासूम बच्चे सा  कभी बूढ़ा, भरी जवानी म...
  • तेरा रूमाल बदलना
    नजर आ रहा है, करना नजर अंदाज तेरा... तेरी आदतों में शुमार.... नयी दरख्तों पर चढ़ना पग-पग डाल बदलना हम होते रहे  फनाह, तेरी मासूमियत से रंगी...
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    Picture by google लोग कहते हैं... क्यूँ बेतरतीब सा रहा करते हो? लोग अपने संग हुजूम ज़माने सा लगाते हैं  तुम क्यूँ दोस्त बनाने से डरते ह...
  • निः शब्द
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  • हालात-ए-बयाँ
    कल जो उन्होंने हालात-ए-बयान की है - यकीनन उनमें कहीं थोड़ी मेरे दर्द की दवा भी है ..! मगर ऐसा भी नहीं सौ फीसदी, हर्फों के मार्फ़...
  • अब आये हो ...!
    अब आये हो ..!.. काका और फूफा भी .. क्यूँ आये हो..? ----------------------- साभार : गूगल चित्र अच्छा.. अब समझा तुम्हें तो आना ही थ...
  • कलम मेरी.. (next on- 23.07.11)
    रोज चलती है कलम मेरी तेरी ही वजह सिर्फ तय करके चंद रास्ते मगर कलम मेरी ठिठक जाती है, ठहर जाती है गर.. किस्सा शुरू करता हूँ कोई और लिख...
  • एक युवा कवि की प्रस्तुति (अगली प्रस्तुति-10.09.11)
    पत्रिका वागर्थ में छपी युवा कवि संजय राय की कुछ रचनायें पेश हैं... 1. चिड़िया बोली उसने जब भी कोई सपना देखा एक चिड़िया बोली उसका जब भी...
  • तमन्ना एक अधूरी सही..!
    मुझे पहचान न सकें वो..  आम ज़माने सा - समझ लिया मुझे भी  खैर, देर ही सही, शुक्र है - बख्श दिया..  उनकी समझ अधूरी सही..!  तोड़ दिया...

प्रेरणाश्रोत हमारे ....

  • All India Bloggers' Association
    ऑल इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन
    कांधला में व्यापार की रीढ़ तोड़कर रख दी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफार्म ने - कांधला कस्बा शामली जिले का एक अमन पसंद, संतुष्ट समाज के रहने की जगह, खेतो और बागो से घिरा कस्बा है. यहाँ विकास के लिए आधुनिकता से जुड़ने की कोई चाह यह...
    5 हफ़्ते पहले
  • मेरी भावनायें...
    जो गरजते हैं वे बरसते नहीं - कितनी आसानी से हम कहते हैं कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर आखिर कहां! किस हाल में हो...
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  • जज़्बात جذبات Jazbaat
    प्यार की ख़ातिर - एक ग़ज़ल************क्या बनाया था ख़ुदा ने क्या हुए।प्यार की ख़ातिर सभी पैदा हुए।।ख़ूब क़िस्मत ने किया रद्दोबदलहम कभी क़तरा कभी दरिया हुए।।आप पर भी तो उठेंगी उंग...
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    मेरी कलम से संग्रह समीक्षा कोशिश माँ को समेटने की....संजय भास्कर - आज की चर्चा मे आदरणीय दिगंबर नासवा जी के कविता-संग्रह "कोशिश माँ को समेटने की" दिगंबर जी चाहते थे जब भी उनकी पहली किताब का प्रकाशन हो माँ को समर्पित हो ...
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  • कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **
    रंग चैत्र महीने के - *रंग चैत्र के ...* चैत्र का महीना बदलाव का महीना है , नए रंग में कुदरत जैसे खुद से मिला कर सम्मोहित करती है। अमृता ने इसी महीने से जुड़ा बहुत कुछ ...
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    लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा - विजय वर्तमानचंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है ...
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    - एवलीन
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  • एक आलसी का चिठ्ठा
    thinking of my father ऐसे ही - नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय नमश्शिवाय ... पिताजी स्नान करते हुये जिन स्तोत्रों को गाते थे, ज्ञात नहीं कि ऐसा करना शास्त्रसम्मत है भी या न...
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    छोड़ गईं मां हमें अकेला | स्वर्गीय माता जी डॉ. विद्यावती "मालविका" की स्मृतियों को नमन | डॉ. वर्षा सिंह - *स्वर्गीय माता जी डॉ. विद्यावती "मालविका" की स्मृतियों को हृदय की गहराइयों से नमन* *स्व. डॉ. विद्यावती "मालविका"जन्म 13 मार्च 1928 - निधन 20 अप्रैैैल 2021...
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    - *"जिस दिन आप काम करना बंद कर देंगे, उस दिन आपके सारे रिश्ते टूट जायेंगे"* शहर पराया था, लोग पराये थे मगर जो अपना था, वह था सपना। अपने आप पर भरोसा था। हौसले ...
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    विद्रोही जी की किताब - "आपकी गलती भी क्या है , मेरा भी तो काम है, सच को कहने के लिए शायर सदा बदनाम है " ये है विद्रोही जी का कविता संग्रह। आप प्रकाशक से संपर्क कर के खरीद सकत...
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