क्या बला मुहब्बत ..?

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बेबस दिल डूब रहा है अब
देख ली, क्या बला मुहब्बत ..?
खुदा के हसीं तोहफों से
मन ऊब रहा है अब

खुद कसम, जो गंवारा न था
कर गुजरे उनकी खातिर
जो वक्त बीत रही अब हमपर
कभी इस कदर गुजारा न था

हर कदम, हर सफ़र रहे उनके साथ
उमस भरे दिन हो अनिल
या सर्द कंटीली रात
उन्हें, उन्हीं सा क़ुबूल किया
चाही उनकी हर बात

सच है, जग में सिर्फ
वो ही हुए काबिज हमपर

वरना यह सख्श बेचारा न था ..

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