उसने जिंदगी को समझा भी नहीं
और मौत उसका रहनुमा हो गया
ऐ जिंदगी! सोच लेते जरा
कितनी शिद्दत से
चाहत की तुम्हारी
नींद खोई, चैन खोया
सोचो.. एक कतरा भी, उसकीं खातिर
तुम खोये ?....
तुम्हारे लिए ही तो
हंसा है वो गम में भी
कुछ तो सिला देते मुहब्बत का
जिस कदर तडपा है वो
तेरी चाहत में
एक बूँद आंसू भी, उसकी खातिर
तुम रोये ?.........
कितनी शिद्दत से
चाहत की तुम्हारी
नींद खोई, चैन खोया
सोचो.. एक कतरा भी, उसकीं खातिर
तुम खोये ?....
तुम्हारे लिए ही तो
हंसा है वो गम में भी
कुछ तो सिला देते मुहब्बत का
जिस कदर तडपा है वो
तेरी चाहत में
एक बूँद आंसू भी, उसकी खातिर
तुम रोये ?.........
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