मुझे कवि न समझे.. (next on 16.07.11)

नन्हीं सी हाथों में
पकड़ कर कलम करची की 
लिखा पहला कौन सा अक्षर, ख्याल नहीं

मगर याद है.. तब भी, अब भी 
महज  खुश करने को नहीं
अपनी अभिव्यक्ति में 
नए रंग भरने को भी
शब्दों को सुरमयी बनाने की कोशिश की हमने 

गीत बनी या गजल,  
कागज़ की आयतों पर
कीचड दिखी या कमल 
ये तो सौदागर जाने शब्दों के 

मैं तो वही लिखता हूँ बस 
जो मेरी यादों में बसी जाती है 
बयां वही करता हूँ हर्फों की दुआ से
जा कभी बनके कहानी 
मेरी आँखों से बही जाती है 

टिमटिमाते दूर गगन में ओझल सा 
तारा हूँ मैं तारा...  
कोई मुझे रवि न समझे

अभिव्यक्तियों  के लिए बहुत ही कम 
शब्द भटकते हैं मेरे पास 
बस समझ लेता हूँ सबों की 
और कह लेता हूँ खुद की बेसुर होकर
आवारा हूँ मैं आवारा...  
कोई मुझे कवि न समझे..  

10 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

bemisaal

संजय भास्‍कर ने कहा…

वाह... अद्भुत अभिव्यक्ति है

संजय भास्‍कर ने कहा…

शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।

Dr Varsha Singh ने कहा…

अभिव्यक्तियों के लिए बहुत ही कम
शब्द भटकते हैं मेरे पास
बस समझ लेता हूँ सबों की
और कह लेता हूँ खुद की बेसुर होकर
आवारा हूँ मैं आवारा...
कोई मुझे कवि न समझे.

यानी छुपे रुस्तम हैं आप.....इतने अच्छे कवि हो कर कहते हैं कि कोई मुझे कवि न समझे . भैया, ये भी कोई बात हुई ....

Unknown ने कहा…

Rashmi Ji, aapki mujhpar aseem kripa hetu koti-koti dhanyawaad.. apni kshhatra-chhaya me mujhe banaye rakhiye..

Sanjay ji, aap dost hi nahin ek utprerak bhi hain.. aapki prerna hetu dhanyawaad..

Varsha Ji... Shabdon ki tarah aap v bhatak kar hamare paas aayin.. prerana di, bahut-bahut dhanyawaad..

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

आवारा हूँ मैं आवारा....
कोई मुझे कवि न समझे....
................वाह अनिल जी
................लक्षण तो सभी कवि के ही दिख रहे हैं

Ankur Jain ने कहा…

अनिलजी इतनी सुन्दर रचना के बाद कैसे हम आपको कवि न समझें...

Unknown ने कहा…

Surendra Ji, Bahut-bahut dhanyawaad aapka.. aap humare blog par aaye aur hamar utsaahvardhan kiya.. aage bhi apne bahumulya sujhav humein dete rahiyega.. ye hum aasha karte hain.. Dhanyawaad...

Ankur Ji.. Aapka bhi bahut-bahut shukriya.. aage bhi apne bahumulya sujhav humein dete rahiyega.. ye hum aasha karte hain.. Dhanyawaad...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

गीत बनी या गजल,
कागज़ की आयतों पर
कीचड दिखी या कमल
ये तो सौदागर जाने शब्दों के

प्रयास जारी रखें ......

Unknown ने कहा…

Harkeerat Heer Ji, Bahut khushi jo aap hamare blog par aayin, mera haunsala badhaya.. Main prayas jaari rakhoonga.... Dhanyawaad..