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मान गए कि......
हम तेरे काबिल न थे
तुम आसमान के उड़ते पंछी
और हमें चंद टुकड़े भी
आसमां के हासिल न थे
तुम मौजों संग बहनेवाले
मुझ कश्ती को साहिल न थे
मान गए कि......
तुम हवाओं सी
तेरा कोई ठिकाना नहीं
बह जाते थे , बहा जाते थे
पल में दिखे पत्तियों पर
फिर जाने कहाँ जाते थे ?
गति हममे भी है मगर
नहीं मंजिलों से बेखबर
तेरी तरह बदल जाना
मेरी आदतों में शामिल न थे
खुद को कह लेना खुदा
खुश हो जाना मगर
न कहना इंसान कभी
मेरी नजर वो इन्सान ही नहीं
जिसने छला इंसानों को
तेरी रूह, रूह न थी
तेरा दिल, दिल के दाखिल न थे
अब तो खुश होते हैं हम
जो हम तेरे काबिल न थे....
2 टिप्पणियां:
गति हममे भी है मगर
नहीं मंजिलों से बेखबर
तेरी तरह बदल जाना
मेरी आदतों में शामिल न थे
waah
its very nice .... magic of words... cool!!!!!
ये मेरी girlfriend को समर्पित है ....
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