और मासूम नादानों सी
तो कहो..
कोई कसूर मेरा ?
प्यार किया तुझे तो
जुर्म किया ?
प्रेम तो खुदा भी करता है
मैंने किया तो क़त्ल किया ?
बताओ...
क्या मैं खुश रहूँ
तो कोई अपराध,
हसना क्या गुनाह मेरी खातिर ?
बहुत सी कहानिया
सच हुई इस जहाँ में
हम एक कहानी बनाते
तो क्या क़यामत आती ?
लाखों एक हुए हैं
एक दुसरे से जुदा होकर भी
हम संगम बन पाते
तो नदियाँ बहना भूल जाती ?
क्या सूरज न दीखता
या हवाएं गुम हो जाती ?
हम तो हैरान हैं
क्यूँ चाहत की हमने तुम्हारी
क्या बुरा होता ?
मुझे असीमित खुशियाँ मिल पाती
मेरी जो तुम हो जाती ????
लाखों एक हुए हैं
एक दुसरे से जुदा होकर भी
हम संगम बन पाते
तो नदियाँ बहना भूल जाती ?
क्या सूरज न दीखता
या हवाएं गुम हो जाती ?
हम तो हैरान हैं
क्यूँ चाहत की हमने तुम्हारी
क्या बुरा होता ?
मुझे असीमित खुशियाँ मिल पाती
मेरी जो तुम हो जाती ????
2 टिप्पणियां:
bahut hi achhi rachna
Rashmi Ji..
Bhaskar Ji..
Bahut-bahut dhanyawaad aapka... Aap ki preranaon se humein aseem oorja ki prapti hoti hai.. apni najar banayein rakhein..
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