नजर आ रहा है,
करना नजर अंदाज तेरा...
तेरी आदतों में शुमार....
नयी दरख्तों पर चढ़ना
पग-पग डाल बदलना
पग-पग डाल बदलना
हम होते रहे फनाह,
तेरी मासूमियत से रंगी चादर पर..
उतरती चादर दिख जाता
तेरे रंगे चेहरे का मौसम..
तय जिसे - हर हाल बदलना
हर महीने, हर साल बदलना
नजर आ रही है
कलाबाजी तेरी बातों की..
तेरी फितरतों में शामिल....
हर घडी ख्याल बदलना
हम होते हैं दूर तो तेरे - अंदाज दिलकश
दिलकश तेरी अदाएं,
तेरे दिखाए - ख्वाब दिलकश
सामने होते तो - करते हैरान,
वो गुफ्तगू का दौर...
और तेरा - सवाल बदलना
तेरी आदतों में शुमार.....
नए - नए रूमाल बदलना
14 टिप्पणियां:
हम होते रहे फनाह,
तेरी मासूमियत से रंगी चादर पर..bahut hi achhi lagti yah pankti
Bahut hi sarthak rachna, ek bahut acchi koshish.
Rashmi Ji..
Dwivedi Ji..
Bahut- bahut dhanyawaad aapka.. Aapki pratikriyaon evam jaroori sujhavon ka mujhe hamesha intijar rahega..
Dhanyawaad..
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 11 - 08 - 2011 को यहाँ भी है
नयी पुरानी हल चल में आज- समंदर इतना खारा क्यों है -
मासूमियत की रंगी चादर पर होते रहे फ़ना ...
सुन्दर अभिव्यक्ति !
तेरी आदतों में शुमार..... नए - नए रूमाल बदलना
wah....sundar rachana
बहुत ही बढ़िया सर ।
सादर
नजर आ रही है
कलाबाजी तेरी बातों की..
तेरी फितरतों में शामिल....
हर घडी ख्याल बदलना
हम होते हैं दूर तो तेरे - अंदाज दिलकश
दिलकश तेरी अदाएं,
तेरे दिखाए - ख्वाब दिलकश
waah... bahut khoob...
बहुत खूब.
सुन्दर अभिव्यक्ति.
नयी पुरानी हलचल से आपकी पोस्ट का
लिंक मिला.आपकी पोस्ट पढकर अच्छा लगा.
आभार.
समय निकालकर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
समसामयिक विचारधारा और मजबूरियों को उद्घाटित करती हुई अच्छी रचना। बधाई। माफ कीजिएगा एक शब्द खटका फनाह, मेरे खयाल से सही शब्द है फना।
वाह ……………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
Sangeeta Swaroop Ji..
Vani Ji..
Ana Ji..
Sada Ji..
Mathur Sahab..
Pooja Ji..
Shekh Sahab aur
Vandana Ji..
Aaj to main dhanya huaa. Humare aangan mein aakar aapne mujhe dhanya kar diya.. Mera haunsala char guna jyada badh gaya hai.. Bahut-bahut shukriya aap sabhi ka..
Anilji...behtarin..
हम होते रहे फनाह,
तेरी मासूमियत से रंगी चादर पर..
...बहुत सुन्दर...
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